प्राइसिंग प्रेशर में फार्मा सेक्टर, अगले 6 महीने निवेशकों को दूर रहने की सलाह
वित्त वर्ष
2018 की चौथी तिमाही
(जनवरी-मार्च 2018) में फार्मा
कंपनियों के नतीजे
उम्मीद के
मुताबिक नहीं रहे
हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स
का कहना है
कि यूएस व
यूरोप के साथ
घरेलू स्तर
पर प्राइसिंग प्रेशर
यानी कीमतों को
लेकर दबाव बना
हुआ है। जिससे
उबरने में कंपनियों
को अभी दो
से तीन तिमाही
का समय लग
सकता है। ऐसे
में निवेशकों को
अगले 6 महीने तक इस
सेक्टर से दूर
रहने की सलाह
होगी।
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वॉल्यूम ग्रोथ पॉजिटिव,
बना
रहेगा
प्राइसिंग
प्रेशर
मार्केट रिसर्च फर्म AIOCD-AWACS के
मुताबिक, मार्च महीने की
तुलना नए फाइनेंशियर
ईयर के पहले
महीने अप्रैल में
फार्मा कंपनियों की बिक्री
घटी है। हालांकि
वैल्यूम ग्रोथ पॉजिटिव रहा।
अप्रैल महीने में घरेलू
फार्मा कंपनियों की कुल
बिक्री 7.8 फीसदी बढ़कर 10,400 करोड़
रुपए रही। लेकिन
मार्च में 9.5 फीसदी
ग्रोथ की तुलना
में कम रही।
अप्रैल में फार्मा
कंपनियों का वैल्यूम
ग्रोथ पॉजिटिव रहा।
अप्रैल में वैल्यूम
ग्रोथ 6.4 फीसदी बढ़ा, जबकि
इस दौरान कीमतें
1 फीसदी गिरी। कीमत के
लेवल पर मार्केट
पर दबाव बढ़
रहा है। अप्रैल
में टॉप 10 कंपनियों
का मार्केट शेयर
एक साल पहले
इसी महीने में
42.83 फीसदी से बढ़कर
43.22 फीसदी रही।
कैसे रहे फार्मा
कंपनियों
के
नतीजे
FY18 की चौथी तिमाही
में फार्मा कंपनियों
के नतीजे बेहतर
नहीं रहे। चौथी
तिमाही में डिविस
लैब्स का नेट
प्रॉफिट 19.5 फीसदी गिरकर 259 करोड़
रुपए रहा। कुल
रेवेन्यू 5 फीसदी घटकर 1088 करोड़
रुपए रही। वहीं
देश की दूसरी
बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी
ल्यूपिन को 783.5 करोड़ रुपए
का घाटा हुआ।
गैविस के अधिग्रहण
में वन टाइम
राइट-ऑफ की
वजह से मार्च
तिमाही में कंपनी
को घाटा हुआ।
कंपनी की बिक्री
2.8 फीसदी गिरकर 4,179 करोड़ रुपए
रही। सालाना आधार
अमेरिकी रेवेन्यू में 21 फीसदी
की गिरावट रही।
हालांकि भारत में
कंपनी की रेवेन्यू
13 फीसदी बढ़ी। कंपनी का
कहना का है
कि कॉम्पिटिशन बढ़ने
और कंज्यूमर बेस
में कंसोलिडेशन से
अमेरिकी रेवेन्यू में कमी
आई है। हालांकि
बायोकॉन का नेट
प्रॉफिट 2 फीसदी बढ़कर 130 करोड़
रुपए रहा। कंपनी
का कहना है
कि जेनरिक बिजनेस
में प्राइसिंग प्रेशर
जारी रहने का
असर चौथी तिमाही
पर पड़ा। जिसकी
वजह से नतीजे
खराब रहे।
दो क्वार्टर तक
रहेगा
प्रेशर
मार्केट एक्सपर्ट अमित हरचेकर
का कहना है
कि फार्मा सेक्टर
का बिजनेस आउटलुक
अच्छा नहीं है।
चौथी तिमाही में
कंपनियों के नतीजे
कुछ खास नहीं
रहे हैं। यूएस
में प्राइसिंग प्रेशर
से घरेलू कंपनियों
के फॉरेन रेवेन्यू
में कमी आई
है। इसके अलावा
घरेलू स्तर मोदी
सरकार ने 700-800 दवाओं
पर प्राइस कंट्रोल
लगाया है। इससे
उनके लिए रेवेन्यू
जेनरेट करना मुश्किल
होगा। इसलिए फार्मा
कंपनियों के नतीजे
खराब आ रहे
हैं। अभी इस
सेक्टर में दबाव
रहेगा। दो क्वार्टर
के बाद फार्मा
सेक्टर बॉटम आउट
हो जाएगा।
सेक्टर के लिए
हैं
कुछ
चैलेंज
फॉर्च्यून फिस्कल के डायरेक्टर
जगदीश ठक्कर
का कहना है
कि डोमेस्टिक मार्केट
में ग्रोथ बेहतर
है। लेकिन यूएस
मार्केट को लेकर
अभी भी कंपनियों
के मार्जिन पर
दबाव दिख रहा
है। यूएस में
प्राइसिंग प्रेशर अभी बना
हुआ है। जेनेरिक
ड्रग में चीनी
फार्मा कंपनियों की एंट्री
से कॉम्पिटीशन बढ़
गया है, ऐसे
में सभी दिक्कतों
के दूर होने
में कुछ वक्त
लगेगा।
लंबी अवधि में
आउटलुक
बेहतर
ट्रेडस्विफ्ट
ब्रोकिंग के संदीप
जैन का कहना
है कि अमेरिकी
राष्ट्रपति द्वारा अमेरिका में
नई हेल्थकेयर पॉलिसी
की घोषणा किए
जाने का कुछ
खास असर नहीं
होगा क्योंकि इसमें
कंपनियों को प्लांट
लगाने की बात
नहीं है। जहां
तक प्राइस कम
करने का मसला
है, तो जेनरिक
दवाओं की कीमतें
कम हुई हैं।
कुछ दिक्कतें है
जो समय के
साथ दूर हो
जाएंगी। लंबी अवधि
में फार्मा सेक्टर
का आउटलुक बेहतर
है।
शॉर्ट टर्म में
दूर
रहें
निवेशक
ठक्कर
का कहना है
कि लॉन्ग टर्म
के नजरिए से
फार्मा शेयरों में निवेश
की सलाह है।
कुछ कंपनियों बॉटम
आउट हो गई।
अब इनमें कमजोरी
की आशंका कम
है। वहीं जैन
के मुताबिक, निवेशकों
को फार्मा स्टॉक्स
में एक से
डेढ़ साल के
लिए निवेश करने
की सलाह होगी।
हालांकि हरचेकर की निवेशकों
को फार्मा से
दूर रहने की
सलाह है।
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